Eid Milad un Nabi 2025: इतिहास, महत्व, बारावफात का कारण

EID MILADUN NABI
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Eid Milad un Nabi 2025 पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद ﷺ के जन्म और वफ़ात का दिन है। जानिए इसका इतिहास, महत्व, बारावफात क्यों कहा जाता है

Eid Milad-un-Nabi मुसलमानो का एक पवित्र त्यौहार है। इसे Barawafat भी कहा जाता है। इस दिन हम सबके प्यारे नबी पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद सल्ललहोताला आलेहेवसल्लम ﷺ पैदाइश हुए थी। यह पर्व हर साल इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है।

Eid Milad un Nabi का महत्व

Eid Milad un Nabi के दिन मुस्लिम समाज प्यारे नबी पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद सल्ललहोताला आलेहेवसल्लम ﷺ के जीवन, उनकी शिक्षाओं और अल्लाह पाक का संदेश याद करता है। कुरआन शरीफ और हदीस के अनुसार, प्यारे नबी ﷺ ने इंसानों को इंसानियत, भाईचारा, समानता और नेक रास्ते पर चलने का संदेश दिया।
इस दिन लोग अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उन्होंने पूरी दुनिया को रहमत के तौर पर प्यारे नबी ﷺ को दिया।

Eid Milad un Nabi 2025 – इस दिन क्या किया जाता है?

  • मस्जिदों और घरों में कुरआन की तिलावत की जाती है।
  • प्यारे नबी पैग़ंबर की सीरत पर बयान (ख़ुत्बा) होते हैं।
  • जुलूस और नात (प्यारे नबी पैग़ंबर की शान में कविताएं) पढ़ी जाती हैं।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को खाना और मदद दी जाती है।
  • मस्जिदों और गलियों को रोशनी और सजावट से सजाया जाता है।

Eid Milad un Nabi – बारावफात क्यों कहा जाता है?

क्योंकि यह दिन इस्लामी महीने की बारहवीं तारीख को आता है, इसलिए इसे “बारावफात” कहा जाता है। “फात” का मतलब है “वफ़ात (निधन) का दिन”। इस दिन को याद करके मुस्लिम समाज पैग़ंबर ﷺ की शिक्षाओं पर अमल करने का वादा करता है।

Eid Milad un Nabi से मिलने वाले संदेश

ईद मिलादुन्नबी हमें नेक और सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। इस दिन हमें ये बातें याद रखनी चाहिए:
1- 5 वक्त की नमाज़ पाबंदी से अदा करना।
2- रोज़ाना क़ुरआन पाक की तिलावत करना।
3- हमारे प्यारे नबी ﷺ के बताए हुए रास्ते पर चलना।
4- नफरत को मिटाकर मोहब्बत फैलाना।
5- गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करना।
6- अल्लाह की इबादत और इंसानियत की सेवा करना।

NOTE BY VITALNEWS360.COM :-

Eid Milad un Nabi का मतलब सिर्फ़ इतना नहीं है कि हम अपने घरों को सजाएँ, स्वादिष्ट पकवान बनाएँ और दूसरों का हक़ मारकर सिर्फ़ अपनी खुशी मनाएँ। असली मायने यह हैं कि इस दिन हम अपने रब से सच्चा वादा करें।

  • हम आज से पाँच वक्त की नमाज़ पाबंदी से पढ़ेंगे।
  • अपने भाई को अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करेंगे और उसका हक़ कभी नहीं मारेंगे।
  • अपने पड़ोसियों को खुश रखने की कोशिश करेंगे, उनकी परेशानियों को अपनी परेशानी समझकर दूर करेंगे।
  • और सबसे अहम बात, जब वो मुश्किल वक़्त में हों तो उनके साथ मज़बूती से खड़े रहेंगे।

यही है Eid Milad un Nabi का असली पैग़ाम – मोहब्बत, भाईचारा और इंसानियत।

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